गणतंत्र दिवस पर भाषण
सुप्रभात,
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय शिक्षकगण, और मेरे सभी प्रिय साथियों,
आज हम सब यहां 26 जनवरी, भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर एकत्रित हुए हैं। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व, सम्मान और उत्साह का प्रतीक है। इस पावन अवसर पर मैं आप सभी के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए खुद को सौभाग्यशाली समझता हूं।
हमारा देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ, लेकिन स्वतंत्रता के बाद भी हमारे पास खुद का कोई संविधान नहीं था। तब तक हमारा देश ब्रिटिश शासन के बनाए कानूनों पर ही चल रहा था। 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ और हमारा देश एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बना। इस दिन भारत ने यह घोषणा की कि देश के हर नागरिक को समान अधिकार, स्वतंत्रता और न्याय प्राप्त होगा। यही वह दिन है जब भारत में सही मायनों में लोकतंत्र की शुरुआत हुई।
हमारा संविधान डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में निर्मित हुआ। यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसमें हमारे अधिकारों और कर्तव्यों का उल्लेख है। यह हमें समानता, स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता का अधिकार देता है। हमें गर्व है कि हमारे संविधान ने हमारे देश को एकता के सूत्र में बांध रखा है, चाहे हमारी संस्कृति, भाषा और धर्म कितने भी विविध क्यों न हों।
गणतंत्र दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह उन हजारों स्वतंत्रता सेनानियों और वीर सपूतों की याद दिलाता है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें आज़ाद भारत दिया। महात्मा गांधी, भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई, और अनगिनत अन्य देशभक्तों के बलिदानों को हम कभी नहीं भुला सकते। हमें उनकी कुर्बानियों को हमेशा याद रखना चाहिए और उनके सपनों का भारत बनाने के लिए कार्य करना चाहिए।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर आयोजित परेड हमारे देश की विविधता और ताकत को दर्शाती है। इसमें हमारी सैन्य ताकत, सांस्कृतिक धरोहर और वैज्ञानिक उपलब्धियों का प्रदर्शन होता है। यह न केवल हमारी प्रगति को दर्शाता है, बल्कि हमारी एकता और अखंडता को भी उजागर करता है।
लेकिन साथ ही, हमें यह भी सोचना चाहिए कि क्या हम अपने संविधान और गणतंत्र की सच्ची भावना का पालन कर रहे हैं? क्या हम अपने कर्तव्यों को निभा रहे हैं? हमें भ्रष्टाचार, भेदभाव और असमानता जैसी समस्याओं को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए। केवल अधिकारों की मांग करना काफी नहीं है, हमें अपने कर्तव्यों का भी पालन करना होगा।
आज इस अवसर पर हम सभी को यह प्रण लेना चाहिए कि हम एक अच्छे नागरिक बनेंगे, देश की उन्नति में योगदान देंगे और इसे एक ऐसा राष्ट्र बनाएंगे जिस पर हर भारतीय को गर्व हो।
अंत में, मैं यही कहूंगा कि गणतंत्र दिवस सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं है, यह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों का उत्सव है। हमें इसे पूरे उत्साह, जोश और जिम्मेदारी के साथ मनाना चाहिए।
धन्यवाद।
जय हिंद! जय भारत!
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धन्यवाद 😊
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